|| श्री हरि: ||
25 - शयन
'दादा!' कन्हाई नींद में ही अपने हाथ से अपने बड़े भाई को टटोल लेता है। दाऊ के हाथ इसके शरीर से हटे और यह चौंका। यह करवट लेगा और आंखें बंद किये ही पुकारेगा और टटोलेगा। दाऊ अपने छोटे भाई को निद्रा में भी अपने हाथ से मानों सम्हाले रहता है। यदि करवट लेने में वह हाथ हट जाय, मैया के थपकी देने पर भी श्याम दादा को ढूंढेगा।
श्याम के नीलकमल के समान सुंदर शरीर पर दाऊ का प्रफुल्ल पद्मकर या फिर दाऊ के देह पर मोहन का नन्हा - सा अरुण सरोजपाणी - दोनों भाई एक - दूसरे को छूते ही सो सकते हैं। एक के बिना दूसरे को निद्रा ही नहीं आती।
'दादा!' श्याम ने हाथ से टटोला। शय्या पर हाथ पड़ रहा शिथिल होकर और यह फिर कुनमुनाया। फिर पुकारा इसने और टटोला। इसका दादा कहाँ गया?