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रात गहरी थी बहोत,मुफ्लिसि लंबी बड़ी... मैं चलता

रात गहरी थी बहोत,मुफ्लिसि लंबी बड़ी... 

मैं चलता गया, थके पाँव इक फजर की फिराक में।

©Raj Singh Rana #firaq
रात गहरी थी बहोत,मुफ्लिसि लंबी बड़ी... 

मैं चलता गया, थके पाँव इक फजर की फिराक में।

©Raj Singh Rana #firaq
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