मैं जितना ही खुद को मज़बूत बनाती हूँ जितना ही खुद को बिखरने से बचाती हूँ जितना ही खुद की खुशी के उपाय निकालती हूँ जितना ही अतीत को भूलकर आगे बढ़ती हूँ उतना ही रास्तों को भी मैंने कठिन होते देखा है..... जितना ही दोनों पाँव की नज़दीकियां बढ़ा के पुनः चलने का प्रयास करती हूँ ये मार्ग उतना ही संकीर्ण हो जाती है....... #संकीर्ण #मार्ग पर #स्वयं ......