चाय की टपरी पर, आज उनसे मुलाकात हो गई। चाय की एक गुट भरी थी, कि शुरू बरसात हो गई। उसने कप मेज़ पर रखा, और बातें शुरू हो गई। घंटों बीत गए, उसने घड़ी की तरफ देखा, और बोली ओह आज तो बहुत देर हो गई। ©Ashin Kalet *आज उनसे मुलाकात हो गई।* with Ashin*