*ये चन्द पंक्तियाँ जिसने भी* *लिखी है, खूब लिखी है* *ग़लतियों से जुदा तू भी नही,* *मैं भी नही,* *दोनो इंसान हैं, खुदा तू भी नही,* *मैं भी नही ..* *" तू मुझे ओर मैं तुझे* *इल्ज़ाम देते हैं मगर,* *अपने अंदर झाँकता तू भी नही,* *मैं भी नही " ..* *" ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ,* *वरना फितरत का बुरा तू* *भी नही, मैं भी नही.. #intelligence