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जय मां दुर्गा मातु भवानी, जग की तुम ही हो मंगल-मुद

जय मां दुर्गा मातु भवानी, जग की तुम ही हो मंगल-मुद-सिद्धि कल्याणी।
तुम ही हो भुक्ति-मुक्ति-दायिनी,ब्रहम स्वरूपा, भवतारिणी और भयहारिणी।
ताप तिमिर को हरने वाली डाकिनी, शाकिनी समेत भूत पिशाच भगाने वाली।
तुम ही हो आदि, अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी तुम ही हो आनंदराशी।
जय महेश भामिनी,अनेक रुप नामिनी, तुम ही तो हो समस्त लोक की स्वामिनी। 
सम रूल्स 

** यह प्रतियोगिता 15 है ।

** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । 

** समय - दोपहर के 01 : 30 बजे तक कोलैब कर सकते हैं ।
जय मां दुर्गा मातु भवानी, जग की तुम ही हो मंगल-मुद-सिद्धि कल्याणी।
तुम ही हो भुक्ति-मुक्ति-दायिनी,ब्रहम स्वरूपा, भवतारिणी और भयहारिणी।
ताप तिमिर को हरने वाली डाकिनी, शाकिनी समेत भूत पिशाच भगाने वाली।
तुम ही हो आदि, अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी तुम ही हो आनंदराशी।
जय महेश भामिनी,अनेक रुप नामिनी, तुम ही तो हो समस्त लोक की स्वामिनी। 
सम रूल्स 

** यह प्रतियोगिता 15 है ।

** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । 

** समय - दोपहर के 01 : 30 बजे तक कोलैब कर सकते हैं ।