तू गया लेकिन तेरी यादें यहाँ पर रह गईं, बाद तेरे बस तेरी बातें ज़बाँ पर रह गईं! पहले तेरी ज़ात का पैकर कहीं पर गुम हुआ, और न जाने फिर तेरी यादें कहाँ पर रह गईं! आज फिर ऐसा हुआ जब सोच कर तुझ को ऐ दोस्त, आसमाँ तकती निगाहें आसमाँ पर रह गईं! क्या सितम है कल तलक जो सामने आँखों के थीं, आज वो सब सूरतें वहम-ओ-गुमाँ पर रह गईं! दास्तान-ए-ज़िंदगी के हर्फ़ कब के मिट चुके, कुछ लकीरें सी फ़क़त अब दास्ताँ पर रह गईं! वक़्त-ए-आख़िर चल दिए तन्हा सफ़र की और ह ..........सब की सब चीज़ें जहाँ की इस जहाँ मैं रह गईं। #life #today_life #ashutosh_mishra