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"वो रुत भी आई कि मैं फूल की सहेली हुई महक में चम्प

"वो रुत भी आई कि मैं फूल की सहेली हुई
महक में चम्पाकली रूप में चमेली हुई 

मैं सर्द रात की बरखा से क्यूँ न प्यार करूँ
ये रुत तो है मिरे बचपन के साथ खेली हुई"

©HintsOfHeart.
  #परवीन_शाकिर