क्या हसीं हैं सितम - और क्या खफा़ हो गई , वक्त की उलझनें हर द़फा हों गई , हमने मन्नतें मांगी थी - इश्क़ हों आपसे ... पर आप किसी और का होकर मेरे दिल्लगी के किस कसर पर वफ़ा हों गई ..... #वफा़-हो-गई #shabdanchal #deepakshukla