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तुम्हे टुकडों में सुनना अच्छा लगता है खीझ  बहुत ह

तुम्हे टुकडों में सुनना अच्छा लगता है 
खीझ  बहुत होती है जब बात अधूरी रहती है 
नाराज हो जाती हूँ 
तुमसे नही अपने आप से 
क्यूँ इन्तेज़ार करती हूँ 
जब बात भी नही करते, पूरी 
क्यूँ ख़ुद को तपाती हूँ उस आग में 
धूँआ बन कर धीरे धीरे सुलगती हूँ 
लेकिन फिर जब कभी 
तुमसे बात होती है 
शिकायतें सब भूल जाती हूँ 
उस एक पल में
वो सब कुछ पाती हूँ जो खोया हुआ सा था 
उस एक क्षण में बस तुम्ही को जीती हूँ 
तुम्हे ही सुनती हूँ तुम्ही को पाती हूँ 
टुकड़ों में ही सही मिलते तो हो 
बस यही सोच कर अच्छा लगता है 
तुम्हें खोने के डर से सहम जाती हूँ 
कभी अगर ना मिले तो 
ऐसा सोच कर ही डर जाती हूँ 
टुकड़ों में ही सही मिलते रहना 
तुम्हे टुकड़ों में मिलना भी अच्छा लगता है 
तभी तो तुम्हे टुकड़ों में सुनना भी 
मुझे अच्छा लगता है.....
........

©Anjali तुम्हे सुनना अच्छा लगता है
तुम्हे टुकडों में सुनना अच्छा लगता है 
खीझ  बहुत होती है जब बात अधूरी रहती है 
नाराज हो जाती हूँ 
तुमसे नही अपने आप से 
क्यूँ इन्तेज़ार करती हूँ 
जब बात भी नही करते, पूरी 
क्यूँ ख़ुद को तपाती हूँ उस आग में 
धूँआ बन कर धीरे धीरे सुलगती हूँ 
लेकिन फिर जब कभी 
तुमसे बात होती है 
शिकायतें सब भूल जाती हूँ 
उस एक पल में
वो सब कुछ पाती हूँ जो खोया हुआ सा था 
उस एक क्षण में बस तुम्ही को जीती हूँ 
तुम्हे ही सुनती हूँ तुम्ही को पाती हूँ 
टुकड़ों में ही सही मिलते तो हो 
बस यही सोच कर अच्छा लगता है 
तुम्हें खोने के डर से सहम जाती हूँ 
कभी अगर ना मिले तो 
ऐसा सोच कर ही डर जाती हूँ 
टुकड़ों में ही सही मिलते रहना 
तुम्हे टुकड़ों में मिलना भी अच्छा लगता है 
तभी तो तुम्हे टुकड़ों में सुनना भी 
मुझे अच्छा लगता है.....
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©Anjali तुम्हे सुनना अच्छा लगता है
anjalianu6773

Anu

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