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मुस्कुराना भी शायद मैंने तुम्हारे मुस्कुराने से ह

मुस्कुराना भी शायद मैंने 
तुम्हारे मुस्कुराने से ही सीखा है।
इस मुस्कान के आगे तो जान,
लगता हर रंग फीका है।
ये बिना कुछ कहे,बिना कुछ करे,
अपनी बातें मनवाने का 
जाने कैसा सलीक़ा है।
कोई तहज़ीब में रहे भी तो कैसे रहे।
आंँखों से तहलका मचाने का भी
उसका अलग ही तरीका है।
उफ्फ नफ़ासत ये कयामत,
इस दिल को भी शायद इस 
सदाक़त ने ही जीता है।
तू उसूल बन चुका है मेरा,
अब तू ही अच्छी आदत है।
तुझ से नही रखनी कोइ उम्मीद हमको।
बस तेरी मुस्कान ही अब मेरी शोहरत है।
तेरी मुस्कान ही अब मेरी शोहरत है। मुझे फुर्सत ही कहां कि मैं 
अपनी किस्मत देखूं।
जो मिल गया और ना मिला 
इन सब की जरूरत देखूं,
बस देखती हूं तो तुम्हारा वो
मुस्कुराता चेहरा।
बस फिर चाहत ही नही होती
की कुछ और देखूं।
मुस्कुराना भी शायद मैंने 
तुम्हारे मुस्कुराने से ही सीखा है।
इस मुस्कान के आगे तो जान,
लगता हर रंग फीका है।
ये बिना कुछ कहे,बिना कुछ करे,
अपनी बातें मनवाने का 
जाने कैसा सलीक़ा है।
कोई तहज़ीब में रहे भी तो कैसे रहे।
आंँखों से तहलका मचाने का भी
उसका अलग ही तरीका है।
उफ्फ नफ़ासत ये कयामत,
इस दिल को भी शायद इस 
सदाक़त ने ही जीता है।
तू उसूल बन चुका है मेरा,
अब तू ही अच्छी आदत है।
तुझ से नही रखनी कोइ उम्मीद हमको।
बस तेरी मुस्कान ही अब मेरी शोहरत है।
तेरी मुस्कान ही अब मेरी शोहरत है। मुझे फुर्सत ही कहां कि मैं 
अपनी किस्मत देखूं।
जो मिल गया और ना मिला 
इन सब की जरूरत देखूं,
बस देखती हूं तो तुम्हारा वो
मुस्कुराता चेहरा।
बस फिर चाहत ही नही होती
की कुछ और देखूं।