बहुतों को बख्शा है सोंचता हूं तुम्हे भी बख्श दूं तुमने ही तो तड़पा तड़पाकर हमें शायर बना दिया जाओ रहमत हो खुदा की तुम पर अब क्या तुमसे बदला लूं आयुष कुमार गौतम बहुतों को बख्शा सोंचता हूं......