मानव जन्म विधाता का उत्कृष्ट वरदान है यह कहां और कब मिलेगा कोई नहीं जानता किंतु इसकी सफलता हमारे वश में है इसके लिए जिन मानवीय गुना के आवश्यकता होती है उसका उत्तरदायित्व परिवार और समाज पर है इसलिए बचपन से ही विभिन्न पाठ पढ़ाए जाते हैं किंतु यह पाठ व्याख्यातिक और सामाजिक जीवन में कितने उपयोगी सिद्ध होंगे इसका अनुशीलन आवश्यक है अन्यथा विपरीत परिणाम संभव है मनुष्य के प्रत्येक आचरण का प्रभाव समाज पर पड़ता है आते कोई भी पाठ समाज से अलग होकर नहीं देखा जा सकता ©Ek villain जीवन का प्रथम पाठ