व्यतिषजति पदार्थानान्तरं कोऽपि हेतुर्न खलु बहिरुपाधीन् प्रीतयःसंश्रयन्ते॥ उत्तररामचरित ६.१२ दो व्यक्तियों के साथ होने का कोई अज्ञात कारण होता है। वास्तव में प्रेम बाह्य कारणों पर निर्भर नहीं होता। प्रेम बाह्य कारणों पर निर्भर नहीं करता।