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देवी #मंदिर में नहीं हमारे #समाज मे हैं औरत की

देवी  #मंदिर में नहीं हमारे #समाज मे हैं  
औरत की दो टांगो की बीच से पैदा होकर वही इंसान...... 
उसी की छाती के दो स्तनों से अपनी भूख प्यास मिटाता हैं , 
बलात्कारी , रेपिस्ट भी  वासना की भूख ... 
इन्ही दो टांगो के बीच ओर उन्ही दो स्तनों से अपनी भूख
 मिटाने की आशा रखता हैं 
यदि आप  देखने का नजरिया बदल लें तो आप भूख मिटाने का खाना ना समझकर उसे मंदिर की तरह सम्मान , आदर भी कर सकते हैं  हमे उसी माँ स्वरूप हर महिला बेटी , हो या बहन, जवान हो या बुजुर्ग, हो उसे मंदिर की तरह हमारे दिमाग मे डाले तो हम उस भगवान को बिना मंदिर जाए भी खुश रख सकते हैं ।

आजकल हर जगह टीवी मोबाइल इंटरनेट कहीं पर भी देखो या हमारे आसपास लोकल भाषा मे भी हमे यही प्रचार  देखने को या सुनने को मिल रहा हैं की ओरत वासना की भूख मिटाने की होटल हैं  
हमे हमारी सोच को बदलना होगा और कंही पे भी औरत के खिलाफ हो रहे अश्लीलता के प्रचार को रोके ओर उन्हें समझाये ओर खुद भी समझे 
आये दिन हो रहे बलात्कार ,रेप को हमारे ही समाज के लोगो ने जन्म दिया हैं
( सोच बदलकर गांव/ शहर  बदलने वाले कहा  गए ? )

©Andy Mann
  #जरा सोचिएगा
praveenmann1050

Andy Mann

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