अम्बर मेंअंधेरा छाया, रणभूमम भी घबराई हैं। गुरु द्रोण नेरचा चक्रभ्यु सामत पांडवों पेआई हैं। *.शकु नन केपाशों ने निर पांडवो को िसाया हैं। निगता सेकरा आक्रमण, रण सेदूर भगाया हैं। *. नवकट पररस्थिनत मेंहैंधममराज, सेना भी घबराई हैं साथी भी हैंनवचलीत येचक्रभ्युनवध्वंस मचानेआई है। *.परेशान ना हो तात,एक युवा योद्धा नेनहम्मत दिखलाई है। चक्रभ्युमेंअंिर जानेकी शशक्षा , नपता अजुमन मुझेमााँकी कोख मेंशशखाई है। *. आज्ञा िेमुझेकरोवों की युस्थतत, नविल कर आऊं गा । आप सब मेरेनपछेआना , मागममैंबनाऊं गा । *. चला अभभमन्यु धहाड़ कर , युद्ध संख बजया है। छू ट गए सारेसाथी पीछे, जयद्रथ नेमहािेव का वरिान पाया है! *.लौट आओ वापस पुि, धममराज नेपुकार लगाया है! तुम्हेमार डालनेकी योजना, इन पानपयों नेबनाया है।. ©KuNNu #KavyanjaliAntaragni21