वो जो दिख रही थी बेताबियाँ उसके लफ़्ज़ों में, मैं कोशिश कमबख्त करती रही उन्हें समझने की। मेरी आँखों में कुछ दिखा उन्हें लिखा हुआ, वो बेताबियाँ थी सिर्फ उस लिखे हुए को पढ़ने की। एक ही नगमा गा रहे थे,मेरी आँखें और उनके लफ्ज, वो मेरा न पढ़ सके और ना मैं उनका समझ सकी।