सब्रों से की थी मेहनत,हाशिए सजाने में कुछ हम भी थक गए थे,अरसा बिताने में कुछ उम्र लुटाई गई थी,पैसा कमाने में। कुछ इंसान बदल गए थे,खुद को बनाने में। कुछ आलम खटक रहा था,बेचैनियां मिटाने में। कुछ परेशानियाँ बहुत गहरी थी,बाहर तक आने में। कुछ कोशिशें नाकाम थी,हदों को मिटाने में। कुछ ख्वाहिशें बर्बाद हुई,गर्जियों के ज़माने में। #shayari #poetry #hindi #urdu #quote #khaksaar