तेरी उल्फ़त को निभाएं हम कैसे? तेरी यादों को मिटाएं हम कैसे? आंधियाँ हैं हर तरफ़ ज़ुल्मों सितम की- शमा आरज़ू की जलाएं हम कैसे? मुक्तककार- #मिथिलेश_राय