शबे-सहर मैं खोया-खोया रहता हूँ अब तलक़ ढूँढ ही नहीं पाया ख़ुद को और तुझको गोया काफ़िर भटकता रहता हूँ हो जाए एक अदद ख़्वाब वो पूरा तर्जुमान सोया-सोया रहता हूँ वो उस गली में जाके साँझ ढली अपने पते पे गोया कोई उम्मीद मिली कई हसरत शुमार ख़्वाब कई तराबीह मुबारक़ और नायब कई एक दिल की टिम-टिम सी लौ में चाँद का ख़त ये पढ़ता रहता हूँ ये हाले दिल और मुल्क के हालात कहूँ बस तेरे मियाद पे चलता रहता हूँ #nationhood