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तुम कलयुग के युधिष्ठिर हों बिन थके हुए लड़ जाते हो

तुम कलयुग के युधिष्ठिर हों 
बिन थके हुए लड़ जाते हों 
करके अपना  सर्वस्व निछावर 
हम सबके  के प्राण बचाते हों 

हे  योद्धाओ तुम गौरव हो 
भारत माँ की इस मिट्टी का
पीकर  नफ़रत का विष भी तुम 
कर्तव्य से न घबराते हो

वो  देशद्रोह का कैसा दिल 
मानवता भी शर्मिंदा थी 
एक निर्दोष साधु को ज़ब 
सड़को पर जिन्दा मारा था 

पल  में  ही पराक्रम भूल गए 
हे अर्जुन तुम क्यूँ मौन हुए
मानवता सांसे तोड़ गयी 
जब निर्दोष देह को छोड़ गए 

था  तुमको तनिक भी भान नहीं 
अपने पथ की सुंदरता को 
महज अफवाहों में आकर 
क्यूँ प्राणों को हर जाते हों हो

हिन्दू मुस्लिम या सिख ईसाई 
आखिर हम है तो भाई भाई 
गर  रही जिंदगी तो कल  भी 
हिन्दू मुस्लिम फिर कर लेगे 

आवाहन है मानवता का 
संकल्प शक्ति को बली करो 
न होकर अंधे अब कोई 
ऐसा न अपराध करो..... 

(p. singh) mob liching
तुम कलयुग के युधिष्ठिर हों 
बिन थके हुए लड़ जाते हों 
करके अपना  सर्वस्व निछावर 
हम सबके  के प्राण बचाते हों 

हे  योद्धाओ तुम गौरव हो 
भारत माँ की इस मिट्टी का
पीकर  नफ़रत का विष भी तुम 
कर्तव्य से न घबराते हो

वो  देशद्रोह का कैसा दिल 
मानवता भी शर्मिंदा थी 
एक निर्दोष साधु को ज़ब 
सड़को पर जिन्दा मारा था 

पल  में  ही पराक्रम भूल गए 
हे अर्जुन तुम क्यूँ मौन हुए
मानवता सांसे तोड़ गयी 
जब निर्दोष देह को छोड़ गए 

था  तुमको तनिक भी भान नहीं 
अपने पथ की सुंदरता को 
महज अफवाहों में आकर 
क्यूँ प्राणों को हर जाते हों हो

हिन्दू मुस्लिम या सिख ईसाई 
आखिर हम है तो भाई भाई 
गर  रही जिंदगी तो कल  भी 
हिन्दू मुस्लिम फिर कर लेगे 

आवाहन है मानवता का 
संकल्प शक्ति को बली करो 
न होकर अंधे अब कोई 
ऐसा न अपराध करो..... 

(p. singh) mob liching