सब के लिए दिल में एक समान मुहब्बत रखना शायद ये संभव तो नहीं पर नफ़रत किसी के लिए दिल में न पालें हम इतना तो कर सकते हैं l बदल सकें धर्म और मज़हब की मान्यताओं को सच है ये सुलभ तो नहीं पर अपनाकर एक-दूजे को मिलजुलकर रह सकें हम इतना तो कर सकते हैं l हर दौड़ में जीत का परचम लहराना बेशक ये साध्य तो नहीं पर लगे रहें उस दौड़ में अंतिम रेखा तक हम इतना तो कर सकते हैं l नमन तुम्हें है दिव्यात्मा नमन तुम्हें है महात्मा आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। अहिंसा के मार्ग पर चलना सब के लिए आसान नहीं है। आज पग-पग पर इतने प्रलोभन हैं कि सत्य पर टिके रहना अत्यंत कठिन है। इसके बावजूद हम सभी में अपनी क्षमता अनुसार सत्य मार्ग पर चलते रहने की इच्छा मौजूद होती है। व्यक्तिगत स्तर पर हम सत्य पर बने रहने के लिए क्या कर सकते हैं?