मौसम की तरह तुम "शाम" ढली तो दिन निकलेगा, #आज का "मंज़र" कल न रहेगा। जो करना है आज में करलो, #आज ही कल "इतिहास" बनेगा। हर दिन कुछ लेकर आता है, हर दिन कुछ देकर जाता है। जिसनें #आज से लिया तज़ुर्बा, कल वो "तज़ुर्बा" काम पड़ेगा। #mausam "शाम" ढली तो दिन निकलेगा, #आज का "मंज़र" कल न रहेगा। जो करना है आज में करलो, #आज ही कल "इतिहास" बनेगा।