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मौसम की तरह तुम "शाम" ढली तो दिन निकलेगा, #आज का "

मौसम की तरह तुम "शाम" ढली तो दिन निकलेगा,
#आज का "मंज़र" कल न रहेगा।

जो करना है आज में करलो,
#आज ही कल "इतिहास" बनेगा।

हर दिन कुछ लेकर आता है,
हर दिन कुछ देकर जाता है।

जिसनें #आज से लिया तज़ुर्बा,
कल वो "तज़ुर्बा" काम पड़ेगा। #mausam 

"शाम" ढली तो दिन निकलेगा,
#आज का "मंज़र" कल न रहेगा।

जो करना है आज में करलो,
#आज ही कल "इतिहास" बनेगा।
मौसम की तरह तुम "शाम" ढली तो दिन निकलेगा,
#आज का "मंज़र" कल न रहेगा।

जो करना है आज में करलो,
#आज ही कल "इतिहास" बनेगा।

हर दिन कुछ लेकर आता है,
हर दिन कुछ देकर जाता है।

जिसनें #आज से लिया तज़ुर्बा,
कल वो "तज़ुर्बा" काम पड़ेगा। #mausam 

"शाम" ढली तो दिन निकलेगा,
#आज का "मंज़र" कल न रहेगा।

जो करना है आज में करलो,
#आज ही कल "इतिहास" बनेगा।
jitendra7777570

#Jitendra777

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