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कितने सपने कितने अरमाँ बनते रोज बिखरते है फिर से न

कितने सपने कितने अरमाँ बनते रोज बिखरते है
फिर से नई सुबह में उनको लेके हम रोज संवरते है !
उठते चलते दौड़ लगाते कोशिश मन से करते है
'रवि' से 'कवि' दिन भर बनते पर खाली हाथ निकलते है !
जीवन जड़ कुछ समझ न आये क्या क्या दम हम भरते है
'पाठक' चेतन समझ न आवे हम यंत्रो से हिलते है ! :💕👨☕☕☕☕☕☕☕🍀🍀☘☕☕🍨🍨🍨🍫🍫🍫🍧🍧🍧🍧😊😊💕😏🍫🍫☕☕☕Good morning ji😊
:
आज हमारे बच्चे जब मां-बाप और टीचर्स के साथ नहीं जुड़ पाए, धर्म के साथ भी नहीं जुड़ पाए तो जुड़े किससे। टीवी से, इंटरनेट से, मोबाइल से। और अब ले देकर दो-तीन मीडिया और आ गए। यहां कहीं किसी की कोई जिम्मेदारी ही नहीं है जो जिसके मर्जी आए कोई उठा-पटक कर डाले। बात को बतंगड़ बनाने के लिए समाज के अंदर कांटे बोए जा रहे हैं। इसको भी हमें गंभीरता से समझना पडेगा। छोटे-छोटे बच्चे इंटरनेट और इसी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से अकेले जीना सीख रहे हैं । इसकी
कितने सपने कितने अरमाँ बनते रोज बिखरते है
फिर से नई सुबह में उनको लेके हम रोज संवरते है !
उठते चलते दौड़ लगाते कोशिश मन से करते है
'रवि' से 'कवि' दिन भर बनते पर खाली हाथ निकलते है !
जीवन जड़ कुछ समझ न आये क्या क्या दम हम भरते है
'पाठक' चेतन समझ न आवे हम यंत्रो से हिलते है ! :💕👨☕☕☕☕☕☕☕🍀🍀☘☕☕🍨🍨🍨🍫🍫🍫🍧🍧🍧🍧😊😊💕😏🍫🍫☕☕☕Good morning ji😊
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आज हमारे बच्चे जब मां-बाप और टीचर्स के साथ नहीं जुड़ पाए, धर्म के साथ भी नहीं जुड़ पाए तो जुड़े किससे। टीवी से, इंटरनेट से, मोबाइल से। और अब ले देकर दो-तीन मीडिया और आ गए। यहां कहीं किसी की कोई जिम्मेदारी ही नहीं है जो जिसके मर्जी आए कोई उठा-पटक कर डाले। बात को बतंगड़ बनाने के लिए समाज के अंदर कांटे बोए जा रहे हैं। इसको भी हमें गंभीरता से समझना पडेगा। छोटे-छोटे बच्चे इंटरनेट और इसी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से अकेले जीना सीख रहे हैं । इसकी