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ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि 'फ़राज़' रात

ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि 'फ़राज़' 

रात तो रात है हम दिन को जलाते हैं चराग़!!

 अहमद फ़राज़ साहब🙏🙏
ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि 'फ़राज़' 

रात तो रात है हम दिन को जलाते हैं चराग़!!

 अहमद फ़राज़ साहब🙏🙏