पापा एक साइकिल दिला दीजिये नीली, पीली या लाल मंगा दीजिये प्रतिदिन उसको चलाऊंगा मैं बिल्कुल नहीं अलसाउंगा मैं बिना धुँआ, बिना शोर किये पर्यावरण को बचाऊंगा मैं साइकिल से व्यायाम हो जाएगा जल्दी से हर काम हो जाएगा फिर मैं तनिक भी न सुस्त रहूँगा साईकल चलाकर तंदुरुस्त रहूँगा --प्रशान्त मिश्रा बच्चों के लिए कविता "साईकिल'