तुम्हारी यादों की फिक्र गर्म कॉफी सी हो गयी है न मिले एक बार दिन में तलब सी महसूस होती है यह सिलसिला दोस्ती का या कुछ और ही आलम है बड़ा अजीब सा ख़ुद को शायद महसूस हो रहा है। कॉफी