जो सपने थे मेरे सारे वो तो कब के ही टूट गए जो अपने थे वो रिश्ते तो अब बहुत दूर ही छूट गए हालातो नें जमीं में दफ़न कर दिया मुझे अब डर से डरना भी कम हुआ हैँ मेरी आँखों का पानी भी नम हुआ हैँ जो साथ होने के भ्रम थे इस दुनिया में वो सारे कच्ची मिट्टी की तरह फूट गए ©Ash Jain sapne -apne