रेशम का धागा लिए जो बहन खड़ी दरवाजे पर पूछो उनसे क्या होता है पिता की अर्थी आने पर सब कुछ गया उनका अब वह कैसे तुम दे पाओगे क्या अपने बेटे को तुम सीमा पर भेज पाओगे मेहंदी वाले हाथों ने जब अपना सिंदूर मिटाया हो क्या बीती उस माँ पर जिसने अपना बेटा गवाया हो क्या उनकी रक्षा को तुम अपना बलिदान दे पाओगे बोलो क्या अपने बेटे को तुम सीमा पर भेज पाओगे देख रहा जो राह कब से अपने भाई के आने की और एक दोस्त तके राह अपने दोस्त के घर आने की क्या उनकी यादों को अब हकीकत तुम बना पाओगे बोलो ना क्या अपने बेटे को सीमा पर भेज पाओगे