वो महफ़िल ना रही जहां दोस्ती का अफसाना था जहां बैठकर दिन बिताना था जहां एक दूसरे की फिरकी लेकर उससे चिढाना था जहां दोस्त के हर ग़म को खुशियों में बदलने को ठाना था ..... वो जब स्कूल जाना तो बस दोस्तो से मिलने का ठिकाना था ..... Lunch break में बस दोस्त का ही टिफिन तो खाना था .... वो जब history की क्लास में एक से एक bunk करने का बहाना था .... जब maths ना आते हुए भी concentration से बस teacher को देखते जाना था .... दोस्त के incomplete homework होने पर जब हमने भी नहीं बनाने का बनाया बहाना था .... जब डांट खानी ही थी तो साथ में ही खाना था .... अब वो मेहफिल ना रही जहां दोस्ती का अफसाना था। वो महफ़िलें नहीं रहीं, वो लोग भी नहीं रहे... #महफ़िलें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi