मैं आजकल हकलाता क्यूँ हूँ ? जब पैदा हुआ था तो माँ से डॉक्टरों ने यही कहा था कि ये बच्चा सेहतमंद है और ज़ुबान का पक्का भी फिर मैं बात-बात पर आजकल हकलाता क्यूँ हूँ ? पता नहीं ये मुझे क्या होने लगा है मैं जब-जब भी, अब, सच बोलने की कोशिश करता हूँ तो सचमुच हकलाने लगता हूँ पिछले दिनों की बात है कि जब मुझे एक चुप्पै, बहुतै ही चुप्पै प्रधानमंत्री मिले थे और एक इन दिनों की बात है की जब मुझे एक बड़बोले, बहुतै ही बड़बोले प्रधानमंत्री मिले हैं जो चुप्पै थे, वे सिर्फ चुप्पै ही रहते थे कुछ और, कुछ और कभी नहीं करते थे जो बड़बोले हैं वो सिर्फ बड़बोले ही रहते हैं कुछ और, कुछ और कभी नहीं करते हैं तब भी, बहुतै ही मारे गऐ थे अकारण ही अब भी, बहुतै ही मारे जा रहे हैं अकारण ही तब भी, बहुतै ही भूखे सोते थे अकारण ही अब भी, बहुतै ही भूखे सो रहे हैं अकारण ही तब भी, पूरे काम की पूरी मजूरी नहीं मिली थी अब भी, पूरे काम की पूरी मजूरी नहीं मिलती है तब भी, सच हार रहा था और जीत रही थीं साज़िशें अब भी, सच हार रहा है और जीत रही हैं साज़िशें मैं खोलना चाहता हूँ भेद सब मैं खेलना चाहता हूँ नरमुंडों से मैं खुलना चाहता हूँ ज्वालामुखी की तरह मैं थूकना चाहता हूँ सच, काल के कपाल पर मैं मूतना चाहता हूँ ख़ून, बंजर ज़मीन पर मैं चूसना चाहता हूँ तिजोरियों में जमा शब्द सभी लेकिन जैसे-जैसे बढ़ता हूँ जंगल-जंगल याद करते हुए इतिहास के गलियारे, हकलाने लगता हूँ मैं आजकल हकलाता क्यूँ हूँ ? #Main aaj kal haqlata kyu hu#