वो खूबशूरत बला की थी रूप उस का जैसे सोना था वो नृत्य करती महखाने में पर ना वो कोई खिलौना था था बोझ उस के माथे पर भी पर किस ने उस को देखा था वो नृत्य नही तो क्या करती घर पे भूखा एक बेटा था सच कहूं साहिब उसकी इज़्ज़त आँखों मे बड़ी हुई भूखे बेटे के ख़ातिर माँ महखाने में खड़ी हुई साहिब अब उस को इज्जत दो वो कहाँ चैन सोती होगी वो किसी बच्चे की माँ है और किसी बाप की बेटी होगी #नर्तिका #महखान #डांसबार