ग़ज़ल बह्र 2122/2122/2122 दिल हुआ बेताब कहने वो कहानी, चल रही अब तक हि जिसकी हुक्मरानी।। इस तरह मुझमें समाया है कि जैसे, वो हुआ दरिया हमीं हैं बूंद पानी।। कह चुकी दिल को समझता ही नहीं है, याद में उसके जियेगा ज़िन्दगानी।। ज़ोर इस पर भी कहाँ चलता कभी है, दर्द देती है वही आदत पुरानी।। इश्क़ सर चढ़ कर कभी जो बोलता है, टूट जाता है यही इसकी निशानी।। नम हुई आँखें उसी को याद करके दी हमें सौगात जिसने बद्गुमानी।। हम कभी उन से खफा होते नहीं जो, भाँप लेते फिर समझते हैं दिवानी।। अर्चना झा ✍️ ©Archana Jha #Sea