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जाने कौनसे दो फूल खिले थे..! एक मेरी आँख में एक

जाने कौनसे दो 
फूल खिले थे..! 
एक मेरी आँख में 
एक तुम्हारे कान में 
और सलोनी शाम में 
बह रही थी हवा 
धीरे धीरे..! 
उलझी ख़ामोशी में 
मन ख़्वाब बुन रहा था, 
शहद भरी मासूमियत तेरी
मदहोश कर रही थी
धीरे धीरे..!
होंठ हँस रहे थे
और झूम रही थी बाली
और उतार रहा था मैं 
अपना चश्मा 
धीरे धीरे..!  तेरी  बाली  और  झूमके पर मैं सदके जाऊँ
तू कहे तो अभी तुझसे मिलने, उड़ के आऊँ..!

#kumaarsthought #kumaarpoem #kumaaronlove #बाली #श्रृंगारतेरा #एहसासऔरतुम
जाने कौनसे दो 
फूल खिले थे..! 
एक मेरी आँख में 
एक तुम्हारे कान में 
और सलोनी शाम में 
बह रही थी हवा 
धीरे धीरे..! 
उलझी ख़ामोशी में 
मन ख़्वाब बुन रहा था, 
शहद भरी मासूमियत तेरी
मदहोश कर रही थी
धीरे धीरे..!
होंठ हँस रहे थे
और झूम रही थी बाली
और उतार रहा था मैं 
अपना चश्मा 
धीरे धीरे..!  तेरी  बाली  और  झूमके पर मैं सदके जाऊँ
तू कहे तो अभी तुझसे मिलने, उड़ के आऊँ..!

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