तारे कितने सारे, कितना कठिन होता होगा, तारो का भीड़ संग आसमा होगा, ढूंढ़ते होंगे अपने चेहरे को, भीड़ को देख हर चेहरा एक लगता होगा, फिर कोई निशानी लफ्जो की जुबानी, पहचान से अलग हो गए कुछ अपने भीड़ के संग हो गए, यूं तारो को अपने आसमा में लाना, हो सके खुलकर बात तारो को यह समझाना है, कह रहे थे तारे कुछ खफा है, जानना चाहा कारण जाने क्या वज़ह है, आजकल बात करना छोड़ दिया, तारो ने ख़ुदको अकेला कर दिया, #तारे