मकड़जाल में फंसा है नारी का सम्मान दुष्ट बुरी नज़र डालकर करते अभिमान उलझे अह्म के भंवर में,भूल बैठे सब मान दिखाते झूठे आडम्बर,करते व्यर्थ बखान क्रोध अंधकार में फंसकर मूर्ख करे गुणगान सच की आहुति देकर जीवन किया श्मशान व्यवहार बुरा है,करते आदरणीय का अपमान विवेक का धन लुटाकर स्वार्थ की भरे उड़ान बुरी संगत अपनाकर दुर्भाग्य से रहे अनजान तुच्छ नीच सोच है,सोचे नारी को वस्तु समान नारी को सक्षक्त बन बचाना होगा स्वाभिमान दुष्टों का संहार कर, बने दुर्गा सी प्रकाशमान। ❤ प्रतियोगिता- 703 ❤आज की कविता प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"अभिमान"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल हिंदी भाषा के शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 🌟wallpaper को contrast करते हुए ध्यान रहे कि ये visible हो।