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पहाङी के पीछे की तबाही का मंजर, देखा नहीं जाता। बा

पहाङी के पीछे की तबाही का मंजर,
देखा नहीं जाता।
बादल का फटना,मकानों का धंसना, 
सङकों का टूटना ,जल सैलाब फूटना ,
 दर्दनाक जन हानि,फिर लंबी वीरानी, 
प्रकृति का प्रकोप, विपक्षियों के आरोप,
फिर लोगों का बातों का बतंगङ,
देखा नहीं जाता ।।

©Pushpendra Pankaj
  #WoRaat डरावनी

#WoRaat डरावनी #कविता

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