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हमारे संविधान को लागू हुए आज 72 वर्ष हो गए हैं इन

हमारे संविधान को लागू हुए आज 72 वर्ष हो गए हैं इन वर्ष में देश के अनेक उपलब्धियां हासिल की है वैश्विक स्तर पर अपनी धाक जमाई है सबसे बड़ी बात यह है कि सामान और व्यक्त मतदाता अधिकार के जरिए देश में लोकतंत्र का जो मेरा भरोसा है वह और लोकतांत्रिक इतिहास का वक्त मिक्स बन गया है निश्चित तौर पर तमाम मोर्चे पर हासिल देश की उपलब्धियों की सबसे मजबूत बुनियाद भारतीय संविधान और उनकी परंपरा है आज जिस संविधान की बनाई पटरी पर राष्ट्रीय रूपी दिल तेजी से आगे बढ़ रही है उनमें सर्व अनुमति सबसे बड़ी ताकत रही है इसका यह मतलब नहीं है कि संविधान रखे जाते हैं वक्त हर मुद्दे पर सिर्फ सहमति के ही सुन रहे सर्वजनिक उपलब्धियों और अनुच्छेदों पर चर्चा के दौरान कई बार या समितियां भी उभरी भारतीय संविधान को स्वीकृति मिली वक्त कई प्रावधानों को लेकर सवाल उठाया देश ने जो संघवाद स्वीकार किया है उसमें एक हद के बाद केंद्रीय व्यवस्था ज्यादा ताकतवर नहीं है सरदार पटेल ने देशी रियासतों और ब्रिटिश भारत के करण की जो सफल परीक्षण उसका मूल उद्देश्य राष्ट्र के तौर पर भारत की सत्ता को मजबूत बनाना था मजबूत भारत की सत्ता का सामान्य मतलब केंद्रीय व्यवस्था का ताकतवर हो ना ही होता है लेकिन आज स्थिति यह है कि कई मौकों पर राज्य भी अपने ढंग से मनमानी करते नजर आते हैं संविधान सभा की बहसों से गुजरते हुए कम से कम 3 सदस्य से देखते हैं जो मानते हैं कि मजदूर रास्ते के तौर पर भारत की अस्मिता के केंद्र सत्ता का ताकतवर होना जरूरी है

©Ek villain # ऐसी नीतियों को याद करने का समय

#RepublicDay
हमारे संविधान को लागू हुए आज 72 वर्ष हो गए हैं इन वर्ष में देश के अनेक उपलब्धियां हासिल की है वैश्विक स्तर पर अपनी धाक जमाई है सबसे बड़ी बात यह है कि सामान और व्यक्त मतदाता अधिकार के जरिए देश में लोकतंत्र का जो मेरा भरोसा है वह और लोकतांत्रिक इतिहास का वक्त मिक्स बन गया है निश्चित तौर पर तमाम मोर्चे पर हासिल देश की उपलब्धियों की सबसे मजबूत बुनियाद भारतीय संविधान और उनकी परंपरा है आज जिस संविधान की बनाई पटरी पर राष्ट्रीय रूपी दिल तेजी से आगे बढ़ रही है उनमें सर्व अनुमति सबसे बड़ी ताकत रही है इसका यह मतलब नहीं है कि संविधान रखे जाते हैं वक्त हर मुद्दे पर सिर्फ सहमति के ही सुन रहे सर्वजनिक उपलब्धियों और अनुच्छेदों पर चर्चा के दौरान कई बार या समितियां भी उभरी भारतीय संविधान को स्वीकृति मिली वक्त कई प्रावधानों को लेकर सवाल उठाया देश ने जो संघवाद स्वीकार किया है उसमें एक हद के बाद केंद्रीय व्यवस्था ज्यादा ताकतवर नहीं है सरदार पटेल ने देशी रियासतों और ब्रिटिश भारत के करण की जो सफल परीक्षण उसका मूल उद्देश्य राष्ट्र के तौर पर भारत की सत्ता को मजबूत बनाना था मजबूत भारत की सत्ता का सामान्य मतलब केंद्रीय व्यवस्था का ताकतवर हो ना ही होता है लेकिन आज स्थिति यह है कि कई मौकों पर राज्य भी अपने ढंग से मनमानी करते नजर आते हैं संविधान सभा की बहसों से गुजरते हुए कम से कम 3 सदस्य से देखते हैं जो मानते हैं कि मजदूर रास्ते के तौर पर भारत की अस्मिता के केंद्र सत्ता का ताकतवर होना जरूरी है

©Ek villain # ऐसी नीतियों को याद करने का समय

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Ek villain

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