हरियाली का दर्द हरियाली कहती है पेड़ों और वनों से," बारिश की रिमझिम मैं ऐसे ना मुस्कुराओ, ना झूम ऐसे हरी वादियों में की कोई कातिल निकल आएगा" उसकी नजर पैनीऔर दिल पत्थर का है, तेरा झूमना ना रास आएगा, वह तेरे तन पर अपना कुदाली बरसाए गा ! खुशियों की डाली गिरेगी कहीं पे, कहीं दुशाला उतर जाएगा, सांसो की डोर निकल जाएगी, वह पापी अधमरा कर जाएगा, हरियाली कहती है पेड़ों और वनों से, "बारिश की रिमझिम में ऐसे ना मुस्कुराओ, ना झूम ऐसे हरी वादियों में की, कोई कातिल निकल आएगा"