मूव ऑन कर चुका था वो। रोता नही था उसे याद कर के, पहले की तरह। ना नाराज़गी, ना याद, ना प्यार, ना तकलीफ, कुछ महसूस नही होता था आजकल। पर किसी मामूली से फ़िल्म के एक मामूली से प्रेम प्रसंग पे उसे उसका ख्याल आ गया। वो ही ख्याल, जो आजकल आता नही था। वो ही याद, आ गयी फिर से। पहली उँगली से आँखों के कोने को टटोला था उसने। वो एक बूँद बन कर लौट आयी थी फिर से। मूव ऑन कर चुका था वो। नमी का क्या है, सूख जाएगी।