किताबें हमें क्या गलत क्या सही बताती है कभी एक दोस्त कभी एक भाई की तरह समझाती हैं बाहर की दुनिया को अपने पन्नों में समेट कर दिखाती हैं। मां की तरह ही तो है किताबें (2)कभी सिरहाने का तकिया बनकर तो कभी गर्मी में पंखा बन कर। किताब #nojoto#writr#kitaabe