पहला प्यार फासलों ने बहुत क़रीब से छुआ था... आँख दॆखते रहे जो भी कुछ हुआ था..। जिस्म के साथ दिल भी जल रहे थे... साँसों ने बताया सिने में बहोत धुंआ था..। तुझसे बिछड़ के करवटे भिगी थी... आपने आँख में खोदा एक कुआँ था..। बुज़दिल नहीं हूँ बाज़ी छोड़ के जाते... दिल दांव पे कि,इ्श्क़ एक जुआ था..। जुआरी(ख़ब्तुल)