जला के रख या बुझा के रख दे हवा में लेकिन सजा के रख दे मैं खैरात भी हो सकता हूँ अगर किसी की दुआ में रख दे अलमारी में क़ैद रहूंगा धूप अगर तू दिखा के रख दे तेरे आगे वक़्त भी क्या है तू जब चाहे नचा के रख दे डोर साँस की कटे न जब तक तू पतंग से उड़ा के रख दे लिख तो सही हर्फों में मुझको फिर चाहे तो मिटा के रख दे ग़ज़ल मुझे तू मान ले अपनी फिर चाहे गुनगुना के रख दे #Ashutosh ©Navash2411 #नवश