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सावन है, सोमवार है, झिरमीर-झिरमिर फुहार है, बादलों

सावन है, सोमवार है,
झिरमीर-झिरमिर फुहार है,
बादलों में छुपा नभ है-
धरा का अतुल श्रृंगार है। 

प्रिया है, ठंडी बयार है,
बूँदों की मस्त मनुहार है,
घनी पर्वतमालाएँ है-
गजब अनुपम तुषार है।

नदियाँ है, जलधार है,
मुदित मयूर बेसुमार है,
लबालब झील सरोवर है-
अप्रितम सृष्टि उपहार है। 

खुशबू है, मधुर खुमार है,
बागों में आनंद अपार है,
वन उपवन मन महके है-
अद्भुत सावन की फुहार है। 

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich #sawan #Phuhar #rain  #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia
सावन है, सोमवार है,
झिरमीर-झिरमिर फुहार है,
बादलों में छुपा नभ है-
धरा का अतुल श्रृंगार है। 

प्रिया है, ठंडी बयार है,
बूँदों की मस्त मनुहार है,
घनी पर्वतमालाएँ है-
गजब अनुपम तुषार है।

नदियाँ है, जलधार है,
मुदित मयूर बेसुमार है,
लबालब झील सरोवर है-
अप्रितम सृष्टि उपहार है। 

खुशबू है, मधुर खुमार है,
बागों में आनंद अपार है,
वन उपवन मन महके है-
अद्भुत सावन की फुहार है। 

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich #sawan #Phuhar #rain  #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia