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वो फ़र्श से अर्श की दूरियों में भी सिर्फ मुझे याद क

वो फ़र्श से अर्श की दूरियों में भी सिर्फ मुझे याद करता रहता है
वो मोहब्बत का मारा सिमटता है फिर टूटकर बिखरता रहता है
  
वो हमेशा मुझसे बेशर्त,बेवज़ह,बेहिसाब,बेहद मोहब्बत रहा 
पूछती हूँ तो इश्क़ इबादत है हर दफ़ा ये मुझसे कहता रहता है

मेरे चेहरे की उदासी को वो खुद हँसकर पल भर में मिटा देता है
मुझे मालूम है वो मेरे बिना अंदर ही अंदर खुद टूटता रहता है 

बातें सोचते सोचते कभी-कभी मेरे माथे पर शिकन आ जाती है 
मेरी आवाज उदास लगे तो हर बार उदासी की वजह पूछता रहता है

©Suman kothari #Quote #Hindi #writer #urdu #Shayari 
#friends
वो फ़र्श से अर्श की दूरियों में भी सिर्फ मुझे याद करता रहता है
वो मोहब्बत का मारा सिमटता है फिर टूटकर बिखरता रहता है
  
वो हमेशा मुझसे बेशर्त,बेवज़ह,बेहिसाब,बेहद मोहब्बत रहा 
पूछती हूँ तो इश्क़ इबादत है हर दफ़ा ये मुझसे कहता रहता है

मेरे चेहरे की उदासी को वो खुद हँसकर पल भर में मिटा देता है
मुझे मालूम है वो मेरे बिना अंदर ही अंदर खुद टूटता रहता है 

बातें सोचते सोचते कभी-कभी मेरे माथे पर शिकन आ जाती है 
मेरी आवाज उदास लगे तो हर बार उदासी की वजह पूछता रहता है

©Suman kothari #Quote #Hindi #writer #urdu #Shayari 
#friends