हमने अपने कान बंद कर रखे हैं हम नहीं सुनेंगे बीते हुए वक़्त की गूंज साथ चल रहे वक़्त को हमने दीवारों पर टांग रखा है या कलाइयों पर बांध रखा है और उसकी सुनने के लिए हमारे पास वक़्त नहीं है आने वाला वक़्त क्या कहेगा यह तो वक़्त ही बताएगा कि वह सुना जाएगा या नहीं या फिर वह भी अनसुना बीता वक़्त बन जायेगा और फिर बीते वक़्त की सुनने की आदत हमे तो पहले से ही नहीं है ©veerendra sahu #अनसुना_वक़्त