की सारी उम्र अच्छाई तो क्या मिला, ओढ़ कर चोला वफ़ादारी का क्या मिला! लगाता रहा यह जमाना इल्ज़ाम अलग-अलग, बयां कर के सच्चाई भी क्या मिला! उल्फ़तों में उम्र कट रही है, करके भलाई गैरों का क्या मिला! मैं करता रहा आदर सारे जहां की, और दाग मेरे ही आत्म सम्मान को मिला! उचित था चुप रहना हर माहौल में, आज नज़र खामोश में भी क्या मिला! दौर आज भी है सब की ज़फाओं का, करके दरकिनार भी क्या मिला! बाब-ए-जिंदगी पढ़ता रहा तजुर्बों से, बस खम-बा-खम का ही एक शहर मिला! -शिल्पी शहडोली #InspireThroughWriting #zindgi #Dissapointed #ss #NojotoHindi #NojotoShayri #NojotoNews