हर रोज ये मंज़र, नहीं होने वाले । कतरे कभी समंदर, नहीं होने वाले । तुम शाह हो, शाह ही रहो । छोड़ो तुम कलंदर, नहीं होने वाले । azeem khan #छोड़ो तुम कलंदर नहीं# azeem khan#