छुपा के इश्क़ कहीं और फरमाते है वो, बेवजह हमे सताते है वो, एक बार कह दो दिल से निकल जाएंगे, मोम की तरह क्यों जलाते है वो. "हरीश तन्हा" वो किसी और की