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मेरे नीचे है अंधेरों का वजूद शाम से पहले कुछ नहीं

मेरे नीचे है अंधेरों का वजूद
शाम से पहले कुछ नहीं हूँ मैं

यूँ न तेवर बदल के देख मुझे
ज़िन्दगी तेरा हक़ नहीं हूँ मैं

बेख़ुदी में तपिश ये आलम है
वो ख़ुदा है तो ख़ुद नहीं हूँ मैं कुछ तो हूँ और कुछ नहीं हूँ मैं ... जगदीश तपिश
मेरे नीचे है अंधेरों का वजूद
शाम से पहले कुछ नहीं हूँ मैं

यूँ न तेवर बदल के देख मुझे
ज़िन्दगी तेरा हक़ नहीं हूँ मैं

बेख़ुदी में तपिश ये आलम है
वो ख़ुदा है तो ख़ुद नहीं हूँ मैं कुछ तो हूँ और कुछ नहीं हूँ मैं ... जगदीश तपिश
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नूर

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